Friday, April 7, 2017

फसल अवशेष को खेतों में जलाने के नाम पर सरकारी उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं, फैसला लागू करने से पहले किसान संगठन से वार्ता करें सरकारः- चौ. राकेश टिकैत

                                                        प्रेस नोट
फसल अवशेष को खेतों में जलाने के नाम पर सरकारी उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं, फैसला लागू करने से पहले किसान संगठन से वार्ता करें सरकारः- चौ. राकेश टिकैत

ओद्यौगिक इकाईयों के प्रदूषण एवं प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाये प्रशासन :- भाकियू

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि फसल अवशेष को जलाने के नाम पर किसानों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा। किसानों के फसल अवशेष को जलाने के नाम पर पर्यावरण की दुहाई देते हुए सरकार ने फसल अवशेष को जलाने पर प्रतिबन्ध लगाने का एकतरफा फैसला लिया है। इस सम्बन्ध में किसान संगठनों से कोई वार्ता नहीं की गई है। किसानों के पक्ष की अनदेखी कर लिया गया तानाशही फैसला मान्य नहीं है। तमाम दूसरे कारणों से हो रहे प्रदर्शन को रोकने के लिए सरकार के पास कोई कार्य योजना नहीं है। फसल अवशेष भारी मात्रा में जलाने की परंपरा उत्तर प्रदेश में नहीं है। किसानों के फसल अवशेष को जलाने से रोक लगाने से पूर्व सरकार को उसके निष्पादन का प्रभावी इंतजाम करना चाहिए। आज तमाम तरह के औद्योगिक इकाईयों व ग्रीन हाऊस से निकलने वाली गैस के कारण कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के लिए अनेक कारक मौजूद है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर इसके रोकने के लिए कोई कार्य योजना नहीं है। उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक पर रोक होने के बावजूद भी धडेल्ले से प्लास्टिक की पॉलिथीन एवं पाऊच का उपयोग किया जा रहा है। प्रशासन द्वारा इसके लिए कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है, लेकिन किसानों को जुर्माने का भय दिखाकर उत्पीड़न पर उतारू हैं।
अगर किसी किसान का फसल अवशेष जलाने के नाम पर सरकारी तन्त्र द्वारा उत्पीड़न किया जाता है तो भारतीय किसान यूनियन इसके खिलाफ बड़ा आन्दोलन करेगी। किसानों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रशासन पहले प्लास्टिक के उपयोग एवं ओद्यौगिक इकाईयों से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाये। इसके बाद किसान भी फसल अवशेष के निष्पादन का रास्ता तलाशेंगे।



Thursday, April 6, 2017

देश के गन्ना किसानों को संरक्षित करने के लिए चीनी आयात के फैसले को निरस्त करने के सम्बन्ध में।



माननीय,
श्री नरेन्द्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री भारत सरकार,
साउथ ब्लॉक नई दिल्ली।

विषयः देश के गन्ना किसानों को संरक्षित करने के लिए चीनी आयात के फैसले को 
       निरस्त करने के सम्बन्ध में।


मान्यवर,
समाचार पत्रों के माध्यम से संज्ञान में आया है कि भारत सरकार में 5 लाख टन शुल्क मुक्त आयात किये जाने का फैसला किया है। जिसका कारण देश में चीनी के उत्पादन में गिरावट बताई गयी है। भारत दुनिया में चीनी का चौथा बड़ा उत्पादक व उपभोक्ता देश है। देश में चीनी का सीजन अभी समाप्त नहीं हुआ है। इस वर्ष देश में 2.25 करोड टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। यह अनुमान प्रारम्भिक आंकडा है। देश में चीनी का उत्पादन ज्यादा भी हो सकता है। पिछले वर्षों में पूर्व की सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में कच्ची चीनी का शुल्क मुक्त आयात किया गया। जिससे चीनी के दाम घरेलू बाजार में निम्न स्तर पर आ गये थे। देश का शुगर उद्योग किसानों का भुगतान भी समय से नहीं कर पा रहा था। जिससे गन्ना किसानों के क्षेत्रों में भी आत्महत्या की संख्या में काफी वृद्धि हुई थी।
देश में पिछले वर्ष 23.4 मिलियन टन व 2015-16 में 25.1 मिलियन टन का बम्पर उत्पादन हुआ था। पिछले वर्ष का गन्ना सत्र समाप्त होने के बाद सितम्बर में देश में 4.85 मिलियन टन चीनी मिलों के पास खपत से ज्यादा थी। गन्ने के बुआई को देखते हुए आगामी गन्ना सीजन में भी 25.5 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। पूर्व में भी 4 मिलियन टन चीनी का जो आयात किया था वह चीनी भी अभी बाजार में उपलब्ध है। देश में चीनी की कोई कमी नहीं है।
विभिन्न परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अगर सस्ती कच्ची चीनी का आयात किया जाता है तो कई वर्षों से मार झेल रहे गन्ना किसानों के फिर से बुरे दिन चालू हो जायेंगे। 
भारतीय किसान यूनियन आपसे आग्रह करती हैं कि कच्ची चीनी आयात के किसान विरोधी फैसले को अविलम्ब वापिस लिया जाए।
  सदैव आपका

चौ. राकेश टिकैत
            (राष्ट्रीय प्रवक्ता भाकियू)