Friday, October 27, 2017

प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य नाकाफी, चीनी मिलों से सरकार की मिलीभगत के चलते गन्ना किसानों के हितों पर किया कुठाराघातः- चौ0 राकेश टिकैत

प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य नाकाफी, चीनी मिलों से सरकार की मिलीभगत के चलते गन्ना किसानों के हितों पर किया कुठाराघातः- चौ0 राकेश टिकैत
 गन्ना मूल्य के विरोध में कल भाकियू प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर जलायेगी गन्ने की होलीः- भाकियू
                                                                                               दिनांक 27 अक्टूबर 2017

उत्तर प्रदेश के चुनावों में गन्ना मूल्य, गन्ना बकाया व घटतौली का मुद्दा चुनावी जनसभाओं में उठाने वाले माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी अपनी सरकार द्वारा ही उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ने का लाभकारी मूल्य दिलाने में असफल रहे। गन्ना किसानों की भावनाओं से खेलकर किसानों के दम पर सत्ता में आयी भारतीय जनता पाटी की सरकार द्वारा पैराई सत्र 2017-18 हेतु गन्ने का मूल्य घोषित किया गया। गन्ना मूल्य में 10 रुपये की वृद्धि कर गन्ना किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है। योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी गन्ना किसानों के साथ पूर्ववर्ती सरकारों जैसा नियमित व्यवहार किया गया है। गन्ना मूल्य में वृद्धि तुलनात्मक रूप से महंगाई दर में हुई वृद्धि से भी कम है। 
भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश के चुनाव का दौरान जारी संकल्प पत्र में उचित और लाभकारी मूल्य देने की बात कही थी लेकिन मिल मालिक और शर्मायेदारों के दबाव में उत्तर प्रदेश की सरकार गन्ना किसानों को लागत एवं श्रम पर आधारित मूल्य दिलाने में भी नाकाम रही। वर्तमान में गन्ना इस वर्ष में डीजल, बिजली, पेस्टीसाईड्स, खाद के दाम बढ़ने से गन्ना किसानों की गन्ना किसानों की लागत में काफी वृद्धि हुई है। गन्ना किसानों की एक कुंतल गन्ना पैदा करने में लगभग 325 रुपये लागत आ रही है। उत्तर प्रदेश में गन्ना मूल्य तय करने को लेकर आयोजित बैठक में भी किसानों ने अपनी लागत का आंकड़ा गन्ना विभाग को दिया था। तमाम परिस्थितियों को दरकिनार करते हुए एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार चीनी मिलों के पक्ष में खड़ी दिखाई प्रतीत हो रही है। भाजपा के वादे के अनुसार गन्ना किसानों को 450 रुपये प्रति कुन्तल दाम मिलना चाहिए, लेकिन गन्ना किसानों का इस्तेमाल राजनीतिक दलों द्वारा वोट बैंक के रूप में किया जाता रहा है। इतिहास गवाह है कि सत्ता में आने के बाद राजनीतिक दल केवल चुनावी वर्ष में गन्ने के मूल्य में थोडी वृद्धि करते हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार चीनी मिल मालिकों के संगठन के दबाव में कार्य करती है। पिछले वर्ष अखिलेश यादव द्वारा गन्ना मूल्य में 25 रुपये की वृद्धि की थी। जिसको भाजपा के प्रवक्ताओं द्वारा नाकाफी बताकर 450 रुपये प्रति कुन्तल की मांग कर रहे थे, आज वही प्रवक्ता 10 रुपये की वृद्धि को मील का पत्थर साबित करने में लगे हैं। उत्तर प्रदेश की करीब 50 लाख बेबस गन्ना किसानों में सरकार के प्रति बेहद रोष है। वर्तमान सत्र में रिकवरी के मामले में उत्तर प्रदेश ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है, जिसका लाभ भी चीनी मिल मालिकों को है। 
भारतीय किसान यूनियन सरकार द्वारा घोषित मूल्य पर संतुष्ट नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करती है कि गन्ना मूल्य पर पुनर्विचार करते हुए अपने संकल्प पत्र में किये गये वादे के अनुसार गन्ने का मूल्य 450 रुपये प्रति कुन्तल घोषित कर किसानों को लाभकारी मूल्य दें अन्यथा भाकियू पूरे प्रदेश में इसके विरूद्ध आन्दोलन करेगी। कल भाकियू प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर गन्ना जलाकर अपना विरोध दर्ज करायेगी।