Tuesday, June 2, 2020

सीजन 2020-21 खरीफ की फसलों की खरीद के लिए घोषित समर्थन मूल्य किसानों के साथ धोखा, यह समर्थन मूल्य कुल लागत (सी-2) पर घोषित नहीं :- चौ0 राकेश टिकैत

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सीजन 2020-21 खरीफ की फसलों की खरीद के लिए घोषित समर्थन मूल्य किसानों के साथ धोखा, यह समर्थन मूल्य कुल लागत (सी-2) पर घोषित नहीं :- चौ0 राकेश टिकैत
पिछले पांच वर्षों की सबसे कम मूल्य वृद्धिः-भाकियू


भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ0 राकेश टिकैत जी ने हाल में घोषित सीजन 2020-21 के लिए निर्धारित खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों के साथ धोखा बताते हुए कहा कि एक बार फिर सरकार ने महामारी के समय आजीविका के संकट से जूझ रहे किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है। यह देश के भंडार भरने वाले और खाद्य सुरक्षा की मजबूत दीवार खडी करने वाले किसानों के साथ धोखा है। यह वृद्धि पिछले पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि है। सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों की लागत के बराबर ही समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है। किसानों को कुल लागत सी2 पर 50 प्रतिशत जोड़कर बनने वाले मूल्य के अलावा कोई मूल्य मंजूर नहीं है। सरकार महंगाई दर नियंत्रण करने के लिए देश के किसानों की बलि चढ़ा रही है। इसी किसान के दम पर सरकार कोरोना जैसी महामारी से लड़ पायी है। इस महामारी में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति का नहीं मांग का संकट बना हुआ है। सरकार द्वारा धान का समर्थन मूल्य वर्ष 2016-17 में 4.3 प्रतिशत, 2017-18 में 5.4 प्रतिशत, 2018-19 में 12.9 प्रतिशत, 2019-20 में 3.71 प्रतिशत वृद्धि की गयी थी। वर्तमान सीजन 2020-21 में यह पिछले पांच वर्षों की सबसे कम 2.92 प्रतिशत वृद्धि है। सरकार द्वारा घोषित धान के समर्थन मूल्य में प्रत्येक कुन्तल पर 715 रुपये का नुकसान है। ऐसे ही एक कुन्तल फसल बेचने में ज्वार में 631 रुपये, बाजरा में 934रुपये, मक्का में 580 रुपये, तुहर/अरहर दाल में 3603 रुपये, मूंग में 3247 रुपये, उड़द में 3237 रुपये, चना में 3178 रुपये, सोयाबीन में 2433 रुपये, सूरजमुखी में 1985 रुपये, कपास में 1680 रुपये, तिल में 5365 रुपये का नुकसान है।
भारतीय किसान यूनियन सरकार से जवाब चाहती है कि आखिर इस वृद्धि के लिए कौन सा फार्मूला अपनाया गया। भारतीय किसान यूनियन किसानों से आह्वान करती है कि इस अन्याय के खिलाफ सामुहिक संघर्ष शुरू करें। भाकियू मांग करती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी कानून बनाया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वाले व्यक्ति पर अपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।

Friday, May 8, 2020

गांव की सीमा पर मजदूरों के लिए भोजन-पानी व छाया में बैठने की व्यवस्था करें किसान- चौ0 राकेश टिकैत

किसानों की तरह खेतीहर मजदूर भी कृषि की रीढ़, घर लौट रहे प्रवासी श्रमिकों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहींः- चौ0 राकेश टिकैत
गांव की सीमा पर मजदूरों के लिए भोजन-पानी व छाया में बैठने की व्यवस्था करें किसान:-भाकियू


भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ0 राकेश टिकैत जी ने हजारों मील का पैदल सफर तय कर रहें मजदूरों के उत्पीड़न व परेशानी की खबरों से आहत होकर प्रशासन को चेताते हुए कहा कि पैदल साईकिल से अपनी मंजिल पर जा रहे प्रवासी श्रमिकों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं होगा। चौ0 टिकैत ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान एवं मजदूर के समक्ष कोरोना के इस संकट के समय तबाही का एक नया दौर आ खड़ा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित रोजगार न होने के कारण लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित अनेक राज्यों में खेतीहर मजदूर का कार्य कर रहें है। सरकार की उपेक्षा व गलत नीतियों के चलते आये दिन हजारों श्रमिक पंजाब से चलकर लखनऊ, गोण्डा, बस्ती, फर्रूखाबाद, महराजगंज के लिए गुजर रहे है। इन खेतीहर मजदूरों पर पूलिस का अत्याचार जारी है। जिसकी खबरें समाचार पत्रों के माध्यम से प्राप्त हो रही हैं। महामारी के कारण भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूर बच्चों सहित अपने गांव की हजारों किलोमीटर दूरी की पैदल यात्रा पर निकले हैं।
मेरी किसानों व भारतीय किसान यूनियन के लोगो  से अपील है कि इन प्रवासी श्रमिकों के लिए अपने गांव की सीमा में भोजन पानी एवं छाया या रूकने की उचित व्यवस्था करायें। प्रवासी श्रमिकों को कैम्प में रोककर पैदल चल रहे लोगों की सूचना प्रशासन को देकर इनके लिए बसों की व्यवस्था कराना सुनिश्चित करें।
                                                                                                         

Friday, May 1, 2020

किसानों से गेंहू खरीद पर उतराई, छनाई व सफाई के नाम पर 20 रुपये काटे जाने पर भाकियू खफा, मुख्यमत्री को लिखा पत्र

माननीय,
श्री योगी आदित्यनाथ जी,
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ।

विषय- उत्तर प्रदेश में किसानों से गेंहू खरीद पर उतराई, छनाई व सफाई के नाम पर 20 रुपये न लिए जाने के सम्बन्ध में।

आदरणीय योगी जी
अवगत कराना है कि उत्तर प्रदेश में किसानों से गेंहू खरीद नीति में उतराई, छनाई व सफाई के नाम पर किसानों से 20 रुपये काटे जा रहे हैं। जो किसानों के साथ अन्याय है। इस वर्ष खराब मौसम के वजह से किसानों की पैदावार में काफी कमी आयी है। किसानों को पहले से ही उनकी लागत का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पा रहा है। गेंहू का समर्थन मूल्य तय करते समय भी इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी जाती है। मंडी कानून के तहत भी 3 रुपये लिए जाने का प्रावधान है वह भी उस स्थिति में, जब गेंहू की छनाई व तराजू से तुलाई की गयी हो।


वर्तमान में कम्प्यूटरीकृत कांटों से तुलाई व नवीन तकनीकी के थ्रेसर से कटाई के कारण सफाई की कोई आवश्यकता नहीं है। किसानों द्वारा उतराई का कार्य स्वयं किया जाता है। जिसके चलते मंडी कानून भी गौण हो जाता है। किसानों पर उतराई, छनाई व सफाई के नाम पर खरीद एजेन्सियों द्वारा परिवहन का शुल्क वसूला जा रहा है।
कृषि राज्य का विषय है अगर इस तरह का कोई भी खर्च खरीद एजेन्सियों को दिया जाता है तो उसकी धनराशि राज्य सरकार द्वारा जारी की जाए। खरीद एजेन्सियों का खर्च किसानों से लिया जाना किसान हित पर कुठाराघात है।
आपके आग्रह है कि गेंहू खरीद पर किसानों से लिए जाने वाले 20 रुपये प्रति कुन्तल का शुल्क अविलम्ब समाप्त किया जाए।

Wednesday, April 29, 2020

कोविड-19 महामारी के चलते किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई हेतु 1.5 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज दिए जाने हेतु भारतीय किसान यूनियन का पत्र माननीय प्रधानमंत्री जी के नाम

                                                                                                                                                                                                                                                                                                               29.04.2020
माननीय,
श्री नरेन्द्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री भारत सरकार,
साउथ ब्लाॅक नई दिल्ली।

विषय- कोविड-19 महामारी के चलते किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई हेतु 1.5 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज दिए जाने हेतु। 
आदरणीय श्री मोदी जी
आपके संज्ञान में लाना है कि कोविड-19 महामारी के चलते देश में लाॅकडाउन लगाना पड़ा। देशहित में यह अच्छा कदम था, लेकिन लाॅकडाउन की घोषणा उस समय करनी पड़ी जब किसान रबी की कटाई एवं खरीफ की बुवाई की तैयारी कर रहा था। असमय बारिश के कारण किसानों की फसलों की कटाई 15 दिन लेट हो चुकी थी। लाॅकडाउन की घोषणा के बाद किसानों की फसलों की कटाई हेतु लेबर मिलना मुश्किल हो गया था। जिसके चलते किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो गया था। परिवहन के साधन बन्द होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गयी थी या उनके भाव नहीं मिल रहे थे। जिसके चलते किसानों को अपनी फसलों को फेंकने या नष्ट किये जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। देश के तमाम हिस्सों से टमाटर, लौकी, तुरई, खीरा, अंगूर, सन्तरा, लोकाट, लीची को फेंकने की खबरें आ रही हैं। जिसके चलते किसानों के पास खरीफ की बुवाई का संकट है। किसान असमंजस में है कि आखिर उनकी समस्या सुलझाने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहें हैं। लाॅकडाउन के चलते सब्जियों व फल के किसानों को 80 प्रतिशत, फूल की किसान को 100 प्रतिशत व दूध के किसान को 50 प्रतिशत नुकसान हुआ है। इस संकट की घडी में भी किसान जान हथेली पर रखकर खेत में कार्य कर रहा है। आज किसानों के दम पर ही देश कोरोना से लड़ पा रहा है। अगर देश में खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती।
भारतीय किसान यूनियन पत्र के माध्यम से भारत सरकार से निम्न मांग करती है-
1. लाॅकडाउन के अन्तर्गत फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्री, फिशरीज, मधुमक्खी पालक, फूल उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई हेतु भारत सरकार द्वारा अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाए।
2. किसान सम्मान निधि का लाभ पहली किश्त की तरह सभी किसानों को दिया जाए। किसान सम्मान निधि की राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 24 हजार रुपये किया जाए।
3. किसानों की सभी तरह की फसलें कपास, गेंहू, चना, सरसों, सब्जियों की खरीद की जाए।
4. लम्बे समय से मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेंहू पर 200 रुपये कुन्तल बोनस दिया जाए।
5. किसानों के सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर एक साल की छूट व खरीफ की बुवाई में खाद, बीच की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
6. फल, सब्जी, फूल उत्पादक किसानों की फसली ऋण माफ किए जाएं।
7. देश में अन्न की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दलहन व खाद्य तेल में भी देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए। कृषि आयात पर देश की निर्भरता को समाप्त करने हेतु खाद्य तेल व दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी फसलों की सरकारी खरीद की जाए।
                                                                                                       आपका

                                                                                              चौ0 राकेश टिकैत                                                                                                                         (राष्ट्रीय प्रवक्ता भाकियू)