गेंहू का समर्थन मुल्य बढ़ाए जाने को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने प्रधानमंन्त्री को लिखा पत्र
22-11-2012-लखनऊ- किसान भारत सरकार के गेंहू का समर्थन मुल्य न बढ़ाए जाने वाले फैसले को लेकर चकित व आक्रोषित है कि उत्पादन लागत में बढ़ोत्तरी होने के बावजूद भी सरकार ने गेंहू के समर्थन मुल्य में बढ़ोत्तरी नहीं की है। सरकार के इस फैसले से देश का किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खाद के दामों में दोगुनी से भी अधिक बढ़ोत्तरी हुई है तथा डीजल, कीटनाशकों एवं मजदूरी के मुल्य में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके चलते किसानों की उत्पादन लागत करीब 1600 रुपए प्रति कुंतल आती है। आपके द्वारा गठित किसान आयोग एवं हुड्डा कमैटी द्वारा यह सिफारिश की गई है कि किसानों को लागत में पचास प्रतिशत जोड़कर लाभकारी मुल्य दिया जाए, लेकिन किसानों का दाम तय करते समय किसानों के हित की सिफारिशों की अनदेखी की जा रही है। देश के अन्य वर्गों के लिए अगर कोई कमैटी सिफारिश करती है, तो उसे तुरन्त लागू कर दिया जाता है, लेकिन अगर किसान हित की कोई सिफारिश आती है, तो उसकी अनदेखी की जाती है। इसको लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश है तथा इससे देश में गेंहू का उत्पादन भी प्रभावित होगा। सरकार का बार-बार यह ब्यान कि देश में अधिक उत्पादन की आवश्यकता है, इसके लिए हाईब्रिड, जैवपरिवर्तित बीज की आवश्यकता है। दूसरी तरफ किसानों को उनका लागत मुल्य भी नहीं मिल पाता, ऐसे में हमारा देश खाद्यान्न में कैसे आत्मनिर्भर हो सकता है। अनदाता कहे जाने वाले किसान के देश में अनदाता की अनदेखी को लेकर किसानों में काफी गुस्सा है तथा आज किसान मजबूरी वश आंदोलन की तरफ जा रहा है। अतः भारतीय किसान यूनियन मांग करती है कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए किसानों को गेंहू का लाभकारी मुल्य 2400 रुपए प्रति कुंतल दिया जाए।
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