Saturday, April 20, 2013

किसानों को स्वावलंबी बनाने की जरूरत: चौधरी राकेश सिंह टिकैत


किसानों को स्वावलंबी बनाने की जरूरत: चौधरी राकेश सिंह टिकैत

Bablu Kr. Prakash,
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता सहमहासचिव एवं राष्ट्रीय किसान नेता चौधरी राकेश सिंह टिकैत ने आज पत्रकार वार्ता में कहा कि आज बिहार के किसान विश्व के सर्वोत्तम किसान हैंकमी है उनके द्वारा उत्पादित फसलों के लाभकारी मूल्य की एवं उनके उत्पादों के बाजार की. आज बिहार में नीतीश कुमारसुमंत कुमार एवं राकेश कुमार जैसे किसान हैं जिन्होंने विश्व कीर्तिमान स्थापित किये हैं. उन्हें उचित प्रश्रय की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि कोई खिलाड़ी जीत कर क्रिकेट एवं अन्य खेलों में आता है तो उसे कितने सम्मान दिए जाते हैंपरन्तु आश्चर्य का विषय है कि केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने इन किसानों को अभी तक उचित रूप से सम्मानित नहीं किया है. अतः इन किसानों को भारतीय किसान यूनियन द्वारा चौधरी मेहन्द्र सिंह टिकैत रत्न” से सम्मानित किया जायेगा.
राकेश टिकैतजो दो दिनों से अररिया जिले के भार्गौना प्रखंड के महथवा गाँव के अग्निपीड़ितों की दयनीय स्थिति देख कर आए हैंने कहा कि वहां सरकार अपना पलरा झाड़ रही है और ग्रामीणों को मदद के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. वहां अविलम्ब मदद और आपदा सहायता की जरूरत है. वहां के किसानों के ट्रैक्टर तक जल गये हैं और रहने खाने के साधन भी मौजूद नहीं है. अतः सरकार से हम अनुरोध करते हैं कि अविलम्ब हर तरह की सहायता मुहैया कराया जाये.किसानों की हालत वहां बहुत हीं दयनीय है.
टिकैत ने किसानों के सम्बन्ध में कहा कि बिहार में इतनी उपजाऊ जमीन हैकिसान मेहनती हैं फिर उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य क्यों नहीं मिलता. आज बिहार में जरूरत है किसान आय आयोग की और यहाँ के किसानों के आय की सुरक्षा की.
उन्होंने उदाहरण के रूप में कहा कि विश्व कीर्तिमान बनाने वाला नीतीश कुमार का आलू आज बाजार नहीं होने के कारण खराब हो रहा है. बिहार के किसानों को उचित मूल्य मिले एवं उनके आय की सुरक्षा हो.
टिकैत ने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार किसानों को जरूर देख रही है परन्तु इस हरित क्रांति के दौर में किसानों को स्वावलंबी बनाने की मुहीम चलाने की जरूरत है.
किसान स्वराज गठबन्धन के राष्ट्रीय सह संयोजक पंकज भूषण ने कहा की बिहार सरकार ने जैव परिवर्धित बीजों को रोक कर एक मिसाल खड़ा किया है लेकिन इस् हरित क्रांति के दौर में दुखदाई है कि सरकार कंपनियों के हाईब्रिड बीजों को प्रोत्साहित करने में लगी है. जबकि किसानों के अपने बीजों का यदि प्रोत्साहन हो तो किसानों का लागत मूल्य कम होगा तथा वे स्वावलंबी भी होपाएंगे.
श्री भूषण ने कहा कि किसान स्वराज गठबन्धन द्वारा बिहार बीज उत्सव मनाया गया थाउसमें कई किसानों ने देसी बीजों की प्रदर्शनी लगायी. उन बीजों को जिन किसानों ने अपने खेतों में लगाया आज वे काफी खुशहाल हैं. उन्ही किसानों में नालंदा जिले के दर्वेशपुरा ग्राम के धान उत्पादन में विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाले सुमंत कुमार ने जब सरकार द्वारा वितरित गेहूं का बीज लगाया और साथ में जय प्रकाश सिंह किसान द्वारा तैयार किया गया देसी बीज लगाया तब फसल के उत्पादन में जमीन आसमान का अंतर पाया गया है. सुमंत कुमार ने तो अब हाईब्रिड बीजों से तौबा कर लिया है.
भूषण ने कहा कि किसान स्वराज गठबन्धन के किसान एवं प्रतिनिधि व्यापक पैमाने पर उन्नत किस्म के परंपरागत बीजों को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं साथ हीं कई प्रखंडों में बीज बैंक की स्थापना करवा रहे हैंयदि राज्य सरकार को जरूरत महसूस हुई तब हम उनके साथ मिल कर काम करने का संकल्प ले रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार तो कंपनियों को बढ़ावा देने में लग गयी है.
जी एम मुक्त अभियान के समन्वयक बबलू कुमार ने कहा कि आज राज्य में जैविक कृषि नीति की जरूरत है. चौरा पंचायत के मुखिया एवं किसान शिव प्रताप सिंह ने किसानों के उत्पादन के लाभकारी मूल्य निर्धारित करने की बात कही.

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