Sunday, April 21, 2013

केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा “किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण के कार्यप्रणाली की जाँच हेतु समिति”



नयी दिल्ली, 212013: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा गठित “किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण के कार्यप्रणाली की जाँच हेतु समिति” का स्वागत करते हुए कहा है कि अब किसानों की बात अनसुनी नहीं रह सकती.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि आज देश के किसान बदहाली के कगार पर आ गये हैं जिसका मुख्य कारण है, किसानों को अपने उत्पादों में अधिक लागत और लाभकारी बाजार मूल्य का ना मिलना. खैर देर से सही, किसानों की एकजुटता का परिचय है कि पहली बार देश की सरकार किसानों के मुद्दे पर जागने का कार्य की है. अब लगता है कि किसानों को उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य निर्धारण का सही पैमाना बन पायेगा.चौ. टिकैत 1987 से यह मांग करते रहे है ... 
विदित हो की दिनांक 18 मार्च को “इंडियन कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ फार्मर्स मूभमेंट” जिसमें भारतीय किसान यूनियन, ..............................सम्मिलित थे, के साथ संसद मार्ग पर एक दिवसीय किसान खेत मजदूर महापंचायत का आयोजन किया गया था जो कि अनिश्चित कालीन धरने में तब्दील हो गया था. उस धरने में लाखों की संख्या में देशभर के किसानों ने सिरकत की. परिणामतः दिनांक 20 मार्च को एक शिष्टमंडल द्वारा मुलाकात के बाद केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया और जिसका कार्यान्वयन शुरू हो गया. किसानों का मुख्य मुद्दा था उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य का निर्धारण, जो कि आज उन्हें प्राप्त नहीं हो रहा और कई किसान आत्महत्या पर उतारू हो रहे हैं. यदि सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य देवे तब किसानी घाटे का कार्य नहीं रहेगा और उन्हें किसानी छोड़ने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा.
कृषि मंत्रालय द्वारा गठित समिति में कुल 16 सदस्य रखे गये हैं, जिनमे से पांच सदस्य इंडियन कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ फार्मर्स मूभमेंट के हैं, भारतीय किसान यूनियन से चौ. राकेश टिकैत,युधवीर सिंह ,अजमेर सिंह लखोवाल कर्नाटक राज्य रैयत संघ से के .टी गंगाधर ,कविता कुरुगंती को मेम्बर बनाया है ......एन सी ए पी के निदेशक उस समिति के अध्यक्ष रहेंगे और सी ए सी पी के सलाहकार (लागत) उक्त समिति के सदस्य सचिव रहेंगे.
समिति के विचारार्थ विषयों में सी ए सी पी (Commission for Agricultural Costs and Prices) द्वारा वर्तमान में जारी आदेश एवं आयामों की जाँच करना और आगे इस् विषय में सलाह देना. आगे समिति किसानों के न्यूनतम मूल्य निर्धारण में लागत की संकल्पना की जाँच करेगी, साथ हीं वर्तमान माजूदा  दर, टैक्स, लागत, साख, बाजार आदि को भी देखेगी, ताकि इस् मामले में विभिन्न उपाय सरकार को सुझाये जा सकें और कैसे कृषि का विकास हो सके.
इसी बीच दो अन्य समितियां, एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट एंड एग्रीकल्चर तथा दूसरी एफ डी आई इन रिटेल एंड फार्म लाइवलीहुड भी गठन के कगार पर है.





किसानों की समस्‍याओं पर विचार के लिए समितियां गठित
भारतीय किसान आंदोलन की समन्‍वय समिति के प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्री श्री शरद पवार और ग्राम विकास मंत्री श्री जयराम रमेश से व्‍यापक विचार -विमर्श किया। उन्‍होंने उपभोक्‍ता मामलों के मंत्री प्रोफेसर के.वी. थॉमस, वाणिज्‍य एवं उद्योग राज्‍य मंत्री श्रीमती डी. पुरन्‍देश्‍वरी, उर्वरक राज्‍य मंत्री डॉ. एस.के. जेना और वित्‍त राज्‍य मंत्री श्री एन.एन. मीणा से भी 20 मार्च, 2013 को चर्चा की। ये किसान दिल्‍ली के जंतर मंतर पर 18 मार्च, 2013 से डेरा डाले हुए थे। लगभग तीन घंटे चले विचार-विमर्श के बाद फैसला किया गया कि तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार के लिए समितियों का गठन किया जाए। ये विषय हैं - खेती की लागत और न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य तय करने के तौर- तरीकों की जांच, उदार मुक्‍त व्‍यापार समझौतों के अंतर्गत कृषि उपज की बाहरी देशों द्वारा अ‍त्‍यधिक सप्‍लाई (डंपिंग) की आशंका और मल्‍टीब्रांड रिटेल लागू होने पर प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश से किसानों की रक्षा के उपाय। फैसला किया गया कि उक्‍त हर समिति में किसान प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। ये समितियां किसान हितों की रक्षा करने के लिए सरकार को उपयुक्‍त सुझाव दे सकेंगी।

***


मीणा/शुक्‍ला/शौकत-1526
(Release ID 21327) 

No comments:

Post a Comment