Saturday, June 25, 2011

साहब, गन्ने का बकाया पैसा दिला दो

साहब, गन्ने का बकाया पैसा दिला दो


• अमर उजाला ब्यूरो

मुजफ्फरनगर। साहब, गन्ने का बकाया, बिजली और बिजली का सामान दिला दो, सबसे बड़ी समस्या इन्हीं की है। किसान चक्कर पर चक्कर लगा रहा है, न तो बिजली मिल रही है और न ही सामान मिल रहा है।

मात्र 50 लोगों के बैठने की जगह वाले सभागार में दो सौ से अधिक किसानों के अंदर पहुंच जाने से व्यवस्था संभालना मुश्किल हो गया। जैसे ही जिलाधिकारी पंकज कुमार एवं एसएसपी प्रवीण कुमार ने शिकायतें सुननी शुरू कीं, तो शिकायतों का अंबार लग गया। किसान यूनियन ने अवशेष गन्ने का भुगतान की मांग उठाई। इसके अलावा वर्ष 2006-7-8 के ब्याज का भुगतान, पेकिंग चार्ज और झुलाई किसानों से वसूलने पर नाराजगी जताई। जिलाधिकरी ने प्रस्ताव शासन को भेजने का आश्वासन दिया। किसानों ने भूमि अधिग्रहण का मामला उठाया और बिल्डर को भूमि दिए जाने का विरोध किया।

जिलाधिकारी ने उन्हें इस प्रकार के मामले में सख्त कार्यवाही का आश्वासन दिया। औद्योगिक इकाइयों द्वारा नदियों और आसपास के प्रदूषित पानी को शुद्ध कराने की व्यवस्था कराने की मांग की। मनरेगा के लिए मजदूर कम उपलब्ध होने की समस्या से निपटने के लिए मनरेगा में खेती को शामिल करने की मांग की गई। किसानों ने पेयजल की समस्या भी उठाई।

किसानों ने बिजली और बिजली का सामान न मिलने, सामान देने में अवैध वसूली करने का आरोप लगाया। जिलाधिकारी ने इस पर कड़ी निगरानी रखने के अधिकारियों को निर्देश दिए। एक दिन में ही पूरा सामान दिए जाने और वरीयता सूची के अनुसार सामान दिए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने उपलब्ध उपकरणों की सूची चस्पा करने के भी निर्देश दिए। किसानों ने चकबंदी बंद कराए जाने की मांग की।

जिलाधिकारी ने किसान क्रेडिट कार्ड के संबंध में बैंकों से आख्या मांगी। उन्होंने फुगाना में सरकारी नलकूप लगाने वाले ठेकेदार की जांच कराने, झिंझाना में नलकूप की गहराई, ग्राम सोरम में तालाबों से अतिक्रमण हटाकर खुदाई कराने, महमूदपुर निवासी सोनिया को एसबीआई बैंक द्वारा नोटिस जाने की जांच के निर्देश दिए। बैठक में सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

किसान दिवस में उमड़ी किसानों की भीड़

किसान दिवस में रखी गई प्रमुख समस्याएं

• ग्रामीण क्षेत्र में बिजली नहीं मिल रही

• बिजली का सामान देने में अनियमितता, पैसे की मांग

• भूमि अधिग्रहण में सही प्रक्रिया नहीं की जा रही

• नंगली की भूमि ले ली और उनका ही रास्ता बंद कर दिया

• गन्ने का बकाया भुगतान नहीं मिल रहा



चकबंदी में अवैध धन की डिमांड की जा रही है शुगर मिलों में किसान का कटने वाला पैसा विकास कार्य में नहीं लगाया जा रहा
भूमि अधिग्रहण के लिए सीधे किसानों से वार्ता की जाए, ठेकेदारों को न दी जाए

• किसानों को बीज एवं खाद समय पर न मिलना

• बेगराजपुर बिलीघर से पुराना शेड्यूल बदलने पर नाराजगी

•किसान दिवस पर पहुंची 102 शिकायतें

•बिजली-पानी की समस्याएं अधिक

•आनलाइन होंगी शिकायतें

डीएम पंकज कुमार ने किसानों की सभी शिकायतों को आनलाइन करने का एवं एक सप्ताह में निस्तारण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वह स्वयं इन शिकायतों के निस्तारण की मानीटरिंग करेंगे।

पहले किसान दिवस में उमड़ी उम्मीद से अधिक भीड़

विकास भवन में आयोजित हुए पहले किसान दिवस में उम्मीद से अधिक किसान पहुंच गए। 102 किसानों ने तो रजिस्टर पर हस्ताक्षर ही किए, जबकि अधिकांश बिना हस्ताक्षर के ही पहुंचे। सभागार के अलावा पास के दोनों कमरों में पैर रखने को भी जगह नहीं थी, यहां तक कि किसान भारी संख्या में विकास सभागार से बाहर धूप में ही खड़े नजर आए। किसानों ने अगली बैठक कंपनी बाग अथवा अन्य खुले स्थान पर रखने की मांग की।

विकास भवन में किसान गोष्ठी में मौजूद किसान।

शासन के आदेश पर हुई किसानों और अधिकारियों की बैठक

शासन के आदेश पर हुई


किसानों और अधिकारियों की बैठक में रही गहमा-गहमी

अफसरों की गैर हाजिरी बनी समस्या निस्तारण में रुकावट

फतेहपुर। शासन के निर्देश के अनुसार प्रत्येक माह की 22 तारीख को होने वाली बैठक निर्धारित तिथि के एक दिन बाद काफी गहमागहमी के बीच संपन्न हुई। किसान नेताओं और किसानों ने बारी-बारी से अपनी समस्या अधिकारियों के समक्ष रखी तो लेकिन जिन विभागों से सर्वाधिक समस्याएं आई थी, उनके विभागाध्यक्ष ही गैर हाजिर रहे, इससे समस्याआें का मौके पर ही समाधान नही हों सका। जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी मामलों को तेज होता देख दूसरे विभागों को बोलने का मौका देकर बात दबाते रहे।

विदित हो कि एक दिन पूर्व शासनादेश के मुताबिक 22 जून को किसानों और समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों की बैठक आयोजित होनी थी। लेकिन किसानों को सूचना न मिलने और अधिकांश अधिकारियों की गैर मौजूदगी के कारण बैठक निरस्त कर दी गई थी। जिस पर किसानों की बैठक गुरुवार को विकास भवन के सभागार में आयोजित की गई। बैठक का संचालन जिला कृषि अधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने किया और अध्यक्षता जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र कुमार ने की। जबकि मुख्य अतिथि के रुप भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान मौजूद रहे। बैठक में भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियो की मांग के अनुसार तीस जनपद स्तरीय अधिकारियों को बुलाया गया था। बैठक का संचालन कर रहे जिला कृषि अधिकारी डॉ. राजेश कुमार बारी-बारी से विभागवार अधिकारियों को बुलाते रहे और किसान अधिकारियों को अपनी समस्याएं बताते रहे। बैठक मे मुख्य रुप से किसानों की कृषि विकास योजना में विद्युतीकरण की समस्या थी और साथ ही सिंचाई विभाग के अलग-अलग खंडों की समस्या थी। लेकिन इन समस्याओं को सुनने के लिए न तो पहले दिन ही इन विभागों के विभागाध्यक्ष रहे और न ही दूसरे दिन। जिससे बैठक में किसानों में काफी असंतोष रहा। बैठक में विद्युत विभाग के प्रथम खंड के अधिशाषी अभियंता एचएस शिरोमणि, लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता केके राठौर, पुलिस अधीक्षक रामभरोसे और सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता अनुपस्थित रहे। बैठक में मुख्य रुप से लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता एके सिन्हा, जिला उद्यान अधिकारी एलआर पटेल, उपनिदेशक कृषि टीपी चौधरी, विद्युत विभाग द्वितीय खंड के अधिशाषी अभियंता सरोज कुमार सहित समस्त अधिकारी मौजूद रहे।

Sunday, June 5, 2011

No forcible land acquisition - Mayawati's new deal for farmers

No forcible land acquisition - Mayawati's new deal for farmers


Lucknow, June 2 (IANS) Uttar Pradesh Chief Minister Mayawati Thursday tried to placate angry farmers saying that under a new acquisition policy no land would be forcibly taken from farmers and the government would only play facilitator as far as development projects of the private sector were concerned.

Claiming this was the first time any chief minister in the country had held an open dialogue with farmers before drawing up a land acquisition policy, Mayawati also accused the central government of dilly-dallying on amendments to the land acquisition law.

However, the new policy is not expected to benefit the farmers of Bhatta-Parsaul in Greater Noida which has been a site of violent clashes.

who will 'Henceforth, the state will only play the role of a facilitator when it comes to acquisition of land for development of large industrial or infrastructure projects by private companies, have to necessarily go for direct negotiations with the owners of land,' Mayawati said at a press conference here elaborating on the new policy which comes into effect immediately.

'The state government would come into play only where land is to be acquired for public purposes for building roads, highways, canals or for development by urban development or industrial development authorities, as per the master plans prepared by the administration.'

The practice of direct negotiations and mutual agreement would also apply in case of acquisition of land required for public purposes.

In a significant departure from existing policy, Mayawati has decided to ban all forcible acquisition.

'We are against any kind of forcible acquisition and in case 70 percent of the affected farmers do not agree to give away their land, the state will put the project on hold and take a fresh look at the whole project,' she said.

'While we had already framed our land acquisition policy in September 2010, we have made major changes in accordance with the suggestions made by representatives of farmers who have converged here from different parts of the state.'

She chose to call her farmers' meet a 'kisan panchayat'. The meet came after widespread criticism of her government on account of repeated clashes between farmers and the state police over acquisition of land in parts of western Uttar Pradesh over the past few months.

In the most recent clash at Bhatta-Parsaul villages under Greater Noida, four people including two cops, were killed last month. The violence prompted Congress leader Rahul Gandhi to launch a tirade against Mayawati and her governance.

However, the new policy will not benefit the farmers of Bhatta-Parsaul. 'Since farmers in Bhatta-Parsaul had already received their full and final compensation in terms of the then prevailing policy, the revised policy would not apply to them,' Mayawati clarified in reply to a question.

Yet, she claimed: 'I am confident that my government's revised land acquisition policy looks far ahead of what is still being deliberated by the central government, which had been sitting over the land acquisition amendment bill for a long time now.'

In a warning, she said: 'I wish to make it clear that the Bahujan Samaj Party (BSP) will raise the issue during the forthcoming monsoon session of parliament; and in case the central government fails to introduce the bill during that session, we will lay a siege around parliament.'

Speaking on the new policy, she said: 'Apart from being free to enter into a direct contract with the developer company, a farmer would also have the liberty to choose the kind of compensation - between an outright amount settled through negotiation or a deferred payment.

'Besides, he would also have yet another option to take up to 23 percent fully developed land in lieu of the total acquired agricultural land, which would entail a waiting period of up to three years.'

'In case of instant payment of a negotiated compensation, the farmer would also be entitled to a 33-year annuity at the rate of Rs.23,000 per acre with an annual increment of Rs.800,' she said.

'And for those who do not wish to go for such a long term arrangement, a provision has been made for payment of a one-time flat rehabilitation package at the rate of Rs.2.76 lakh per acre.'

In an effort to keep farmers in good humour, she said: 'Even as we have drawn up a blue print of the new policy, we will continue to keep the doors open to accommodate more suggestions from farmers.