Tuesday, October 17, 2023

हम 23 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर से एक बड़े आंदोलन का आगाज करेंगे

प्रेस विज्ञप्ति । दिनॉक- 17/10/2023
देश का किसान आज नाजुक हालत के दौर से गुजर रहा है हम सरकार की गलत नीतियों का डटकर मुकाबला करेंगे-चौधरी नरेश टिकैत ।

टिकैत परिवार आखरी सांस तक किसानों के साथ खड़ा रहेगा और मजबूती से उनकी लड़ाई को लड़ेगा-चौधरी राकेश टिकैत।
मु०नगर (उत्तर प्रदेश)-आज उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर के गांव मुंडभर में आयोजित मासिक किसान मजदूर महापंचायत में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के किसानों व पदाधिकारियो ने हिस्सा लिया।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत जी ने पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि देश का किसान आज नाजुक हालत के दौर से गुजर रहा है फसलों के भाव ना मिलने से परिवार के पालन पोषण पर भारी असर पड़ रहा है, उत्तर प्रदेश के अंदर प्रशासन तानाशाही रवैया अपना रहा है बिजली विभाग गांव गांव जाकर छापेमारी कर रहा है और किसानों से भारी भरकम बिल वसूल रहा है हम 23 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर से एक बड़े आंदोलन की शुरुआत करेंगे और प्रशासन के तानाशाही रवैया का मुंह तोड़ जवाब देंगे।
पंचायत को ही संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत जी ने कहा कि बड़े टिकैत साहब आंदोलन में 350 बार जेल गए, हम समस्या के समाधान तक अपना यह संघर्ष जारी रखेंगे और सरकार की तानाशाही नीति के विरुद्ध जल्दी एक बड़े आंदोलन का आगाज पूरे देश में करेंगे न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है केंद्र सरकार एमएसपी को गारंटी कानून का दर्जा देकर किसानों को उनका हक देने का काम करें।
उत्तर प्रदेश के अंदर पुलिस प्रशासन संगठन के पदाधिकारीयो पर फर्जी तरीके से मुकदमे दर्ज कर रहा है दबाव बनाकर संगठन को तोड़ना चाहते हैं लेकिन पुलिस प्रशासन किया तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी हम 23 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर से आंदोलन की शुरुआत करेंगे जिसका नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बालियान खाप के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत करेंगे।

Wednesday, October 11, 2023

हमें कर्ज नहीं फसलों के भाव चाहिए, हमारी सबसे पहले प्राथमिकता एमएसपी को गारंटी कानून बनवाना है।

भाकियू की नई पहल, आम किसान सभा के सहारे आंदोलन मजबूत करने का ऐलान
मुजफ्फरनगर। प्रेस विज्ञप्ति
भारतीय किसान यूनियन ने भी किसान आंदोलन को और मजबूती देने के लिए गांव का रुख किया है। इसकी शुरुआत आज बुधवार को मुजफ्फरनगर के बढ़ेडी गांव से की गई। साधन सहकारी समिति में आयोजित पहली आम किसान सभा को राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने संबोधित किया।
इस मौके पर राकेश टिकैत ने कहा कि आना वाल समय किसानों के लिए बेहद कठिन है। देश के बड़े पूंजीपति सरकार से मिलकर खेतों को कब्जाने की जुगत में हैं। किसानों को और कर्ज में डुबोकर ये बैंकों से मिलकर किसानों की जमीनों पर कब्जा करेंगे और आम किसान हाथ पर हाथ धरे रह जाएगा। इसीलिए अब आंदोलन की रूपरेखा गांव में ही बनानी होगी। गांव की इकाइयों और समितियों को मजबूत किए बिना यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। इसलिए देशभर में गांव-गांव जाकर ट्रैक्टर प्रमुख बनाने का अभियान चलाया जाएगा। ग्राम स्तर पर भाकियू की समितियों का गठन किया जाएगा और उसी से निकले कर्मठ कार्यकर्ताओं को ब्लॉक्, तहसील, जिला और प्रदेश स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि अगर केंद्र में ऐसी सरकार दोबारा बनी तो मीडिया पर भी बंदिश लगेगी और बाकी राजनीतिक पार्टियों में भी टूट-फूट होगी। कोई विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। इसी के साथ खेती-किसानी पर कब्जा करने का षड़यंत्र रचा जाएगा। शहर में सस्ते मजदूरों की फौज तैयार करने के लिए गांव के किसान को उनकी जमीनें सस्ते में छीनकर उन्हें कृषि मजदूर बनाने का काम किया जाएगा। ये काम आज भी हो रहा है। केसीसी यानि किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को ऋण के जाल में फंसाकर आज भी उनकी जमीनों को नीलाम करने का दुष्चक्र रचा जा रहा है। फसलों के दाम इसीलिए नहीं मिल पा रहे। इसीलिए एमएसपी गारंटी कानून लाने में सरकार हिचक रही है जबकि सब को पता है कि किसान को कर्ज नहीं फसलों के दाम चाहिए। ग्रामीण युवाओं को नौकरी चाहिए। 
उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि भाकियू की गांव की इकाई को मजबूत करें और खेती-किसानी बचाने की इस अपनी जंग की खुद ही कमान संभालें तभी किसान बिरादरी के साथ् मजदूर बिरादरी का भी भला होगा। वरना गांवों को खत्म होते देर नहीं लगेगी। उन्होंने गांव के युवाओं से सामाजिक बुराईयों को छोड़ शिक्षा, खेल के साथ अपने हकों की लड़ाई लड़ने का भी आह्वान किया।

Saturday, October 7, 2023

बिहार का कृषि क्षेत्र आज खत्म होने की कगार पर है

बिहार का कृषि क्षेत्र खत्म होने के कगार पर : राकेश टिकैत
बोले किसान नेता
बिहार में भी बड़े किसान आंदोलन का वक्त आ गया 
बिहार में मंडी कानून लागू नहीं होने से किसानों का हो रहा नुकसान
जाति नहीं किसानों की स्थिति का आंकलन होना ज़रूरी
कोई व्यापारी किसान की जाति-धर्म देखकर नहीं खरीदता फसल
-भूमि अधिग्रहण के तहत किसानों को मौजूदा बाजार दर पर मुआवजा मिले  
- पांच साल पुरानी अधिसूचना दर पर हो रहे भुगतान का विरोध करेंगे
बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर कई पंचायतों को करेंगे संबोधित
पटना। प्रेस विज्ञप्ति
बिहार में किसान के हालात बद से बदतर होते जा रहे है। प्रदेश में कृषि क्षेत्र खत्म होने की कगार पर है। किसानों को बचाने के लिए प्रदेश में बाजार समिति बहाल करनी होगी। हम लोग विकास के विरोध में नहीं हैं, लेकिन किसानों को तबाह कर तरक्की नहीं हो सकती है। बिहार में मंडी कानून लागू ने होने का खामियाजा यहां के किसान भुगत रहे हैं। भूमि अधिग्रहण के तहत पांच साल पुरानी अधिसूचना पर किसानों को भुगतान कर जबरन जमीनों को हड़पने का काम किया जा रहा है। किसानों के लिए आंदोलन करना होगा वरना उनकी जमीन बिना वजह लुटती रहेगी। अब बिहार में आंदोलन का वक्त आ गया है। 
ये बातें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को बिहार की राजधानी पटना पहुंचने पर प्रेस वार्ता के दौरान कहीं। वे बिहार के तीन दिवसीय दौरे पर हैं और कई जिलों में किसान पंचायत को संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार के किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है। यहां का किसान दूसरे प्रदेशों में मजदूरी करने को मजबूर है। इसलिए बिहार में बड़े किसान आंदोलन की जरूरर है।
राकेश टिकैत ने कहा कि हम लोगों का मकसद सिर्फ़ खेतों में काम कर रहे किसानों को फसलों का सही दाम दिलवाना है। जाति को लेकर हमारी चिंता बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि कोई भी व्यापारी किसानों की ज़ात देखकर ज़्यादा भुगतान नहीं कर देता है। फसल पकने के बाद कोई नहीं बता सकता कि किस जाति विशेष की ज़मीन पर फसल की पैदावार हुई है। इसलिए जाति नहीं किसानों कि स्थिति हम लोगों के लिए ज़रूरी है। 
बिहार से हजारों टन धान बाहर भेजा जा रहा है, उसका ख़रीदार कौन है, कहां बेचा जा रहा है। किसी को कोई पता नहीं। वह कम दाम पर बिचौलियों के हाथों धान बेचने को मजबर है। यहां किसी भी किसान को एमएसपी नहीं मिल रही है। पूरे देश में एमएसपी गारंटी कानून बनना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि देशभर के मक्का किसानों को अभी 5 हज़ार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। बिहार के किसान दूसरे प्रदेशों में जाकर मज़दूरी करने पर मजबूर हैं। प्रदेश के लोगों को अपनी ही जमीनें और फसल बचाने के लिए संघर्ष करने की ज़रूरत है। बिहार में किसानों के लिए आंदोलन ज़रूरी है। कृषि रोड मैप के बारे में सरकार को बताना चाहिए कि किस मद में कितने रुपये लगे हैं। कौन सी योजनाएं किसानों के लिए चलाई जा रही हैं और धरातल पर उनका फायदा क्या किसानों को हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्म की बात है कि बिहटा में किसान 16 साल से धरना दे रहे हैं। उद्योग लगाने के नाम पर उनकी ज़मीन ले ली गई, लेकिन आज तक कोई उद्योग नहीं लगा। इसके लिए सरकार को उचित मुआवज़ा देना होगा। इस बाबत किसान जहां-जहां आंदोलन करेंगे, हम उनका साथ देंगे और आंदोलन को और मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे।
#BhartiyaKisanUnion