प्रेस नोट
खेती के मुद्दों को लेकर भारतीय किसान यूनियन 23 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2018 तक हरिद्वार टिकैत घाट से दिल्ली किसान घाट तक होने वाली किसान क्रान्ति यात्रा में शामिल रहेंगे समन्वय समिति के सभी किसान संगठन
भारत के किसान आन्दोलन की समन्वय समिति की बैठक का आयोजन दिल्ली में किया गया। जिसमें किसानों की समस्याओं पर गहनता से विचार कर कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर देश में बड़ा आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया गया। बैठक में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु के किसान नेताओं ने भाग लिया। बैठक में आज एक संवाददाता सम्मेलन के आयोजन का निर्णय हुआ। सम्मेलन में आये किसान नेताओं ने कहा कि खेती किसानी के मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की देश व प्रदेश की सरकार किसानों से किये गये वादे नहीं निभा पा रही है। सरकार के चार साल पूरे हो जाने के बाद भी जगह-जगह खड़े हो रहे किसान आन्दोलन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गम्भीर नहीं है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार किसान खेती छोड़ रहे हैं। किसानों की आत्महत्यायें रूकी नहीं है, बल्कि बढ़ रही है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण कर्ज का भार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में न होकर बीमा कम्पनियों के हित में कार्य कर रही है। देश के गन्ना किसानों पर लगभग 19 हजार करोड़ रुपया गन्ना सीजन बन्द होने के बाद भी बकाया है। घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी ने 14 दिन में गन्ना भुगतान की बात कही थी। भारतीय जनता पार्टी का यह वादा भी किसानों के लिए जुमला ही साबित हुआ है। किसान के नाम पर बने एक आयोग की रिपोर्ट पिछले 15 साल से धूल चाट रही है। उसे लागू करना तो दूर आज तक उस पर संसद में चर्चा भी नहीं हुई। सरकारों द्वारा किसानों का उत्पीड़न जारी है।
समन्वय समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि भारतीय किसान यूनियन द्वारा किसानों के मुद्दों को लेकर 23 सितम्बर 2018 से हरिद्वार टिकैत घाट से किसान क्रान्ति यात्रा चलकर 2 अक्टूबर को किसान घाट नई दिल्ली पहुँचेगी। जिसमें बड़ी संख्या किसान अपने वाहनों के साथ पैदल चलकर दिल्ली तक जायेंगे।
किसान क्रान्ति यात्रा में समन्वय समिति के सभी संगठनों का पूर्णतः समर्थन है। सभी किसान संगठन किसान क्रान्ति यात्रा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।
किसान क्रान्ति यात्रा का आयोजन निम्न मुद्दों को लेकर किया जा रहा है-
1. देश के किसानों की सभी फसलों का (फल, सब्जियां व दूध) वैधानिक उचित और लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य डा. स्वामीनाथन द्वारा सुझाये गये ब2 फार्मूले के अनुसार, कृषि विश्वविद्यालय की वास्तविक लागत के आधार पर तय किया जाए व उस पर कम से कम 50ः लाभ जोड़कर समर्थन मूल्य घोषित किया जाए एवं साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जाए कि मंडी में गुणवत्ता मापदंड के उत्पादन का भाव किसी भी कीमत पर समर्थन मूल्य से कम न हो। ऐसा न होने पर दंड का प्रावधान किया जाए। सभी फसलों की शत-प्रतिशत सरकारी खरीद की गारंटी दी जाए।
2. देश के किसानों के सभी तरह के कर्ज माफ किये जाएं। देश के किसानों पर लगभग 80 प्रतिशत कर्ज राष्ट्रीयकृत बैंकों का है। देश के किसानों के सभी तरह के कर्ज (राष्ट्रीयकृत बैंक/सहकारी बैंक/साहुकार) एक ही समय में बिना किसी समय सीमा के भारत सरकर के माध्यम से माफ किये जाएं।
3. पिछले 10 वर्षोंं में खेती में हो रहे नुकसान के कारण सरकारी रिकार्ड के अनुसार 3 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। यह विषय पूरे देश के लिए शर्मनाक है। यह सिलसिला आज भी रूक नहीं पा रहा है। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार का पुनर्वास करते हुए परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
4. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ मिलने के बजाए बीमा कम्पनियों को लाभ मिल रहा है। योजना में बदलाव करते हुए प्रत्येक किसान को ईकाई मानकर सभी फसलों में स्वैच्छिक रूप से लागू किया जाए।
5. किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित की जाए। लघु एवं सीमान्त किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद कम से कम 5000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए।
6. देश में आवारा पशुओं जैसें-नीलघोडा, जंगली सुअर आदि के द्वारा किसानों की फसलों को पूर्णतः नष्ट कर दिया जाता है। जिससे देश की खाद्य सुरक्षा व खेती दोनों खतरें में हैं। जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु क्षेत्रीय आधार पर वृहद कार्य योजना बनाई जाए। देश के कुछ राज्यों में प्रचलित अन्ना प्रथा पर रोक लगाई जाए।
7. किसानों का बकाया गन्ना भुगतान ब्याज सहित अविलम्ब कराया जाए।
8. किसानों को सिंचाई हेतु नलकूप की बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए।
9. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 वर्ष से अधिक डीजल वाहनों के संचालन पर लगाई गई रोक से किसानों के ट्रैक्टर, पम्पिंग सैट, कृषि कार्य में प्रयोग होने वाले डीजल इंजन को (एंटिक कारों के आधार पर) मुक्त किया जाए।
10. मनरेगा को खेती से लिंक किया जाए।
11. खेती में काम आने वाली सभी वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त किया जाए।
12. कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर रखा जाए।
13. देश में पर्याप्त मात्रा में पैदावार होने वाली फसलों का आयात बन्द किया जाए। एसियान मुक्त व्यापार समझौते की आड़ में कई देशों द्वारा ऐसी वस्तुओं का निर्यात किया जा रहा है जिसका वह उत्पादक नहीं है। ऐसे मामलों में प्रतिबंध लगाया जाए।
14. देश में सभी मामलों में भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 से ही किया जाए। भूमि अधिग्रहण को केन्द्रीय सूची में रखते हुए राज्यों को किसान विरोधी कानून बनाने से रोका जाए।
15. किसानों की समस्याओं पर संसद का विशेष संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाए। जिसमें एक माह तक किसानों की समस्याओं पर चर्चा कर समाधान किया जाए।
संवाददाता सम्मेलन में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ0 राकेश टिकैत, राष्ट्रीय महासचिव चौ0 युद्धवीर सिंह, राजपाल शर्मा राष्ट्रीय महासचिव, कर्नाटक राज्य रैयत संघ के प्रदेश अध्यक्ष के0टी0 गंगाधर, कर्नाटक राज्य रैयत संघ के उपाध्यक्ष जी0टी0 रामास्वामी, सुभाष चौधरी अध्यक्ष राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भाकियू, हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रतनसिंह मान, पंजाब के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह लाखोवाल, मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश सिंह, दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष विरेन्द्र डागर मौजूद रहे।
संवाददाता में पधारे सभी संवाददाताओं/छायाकार/कैमरामेन का आभार व्यक्त करते हुए आशा करता हूँ कि आपके द्वारा किसान क्रान्ति यात्रा में भरपूर सहयोग दिया जाएगा।