किसानों के लिए घातक होगा नया बीज विधेयक : नीतीश
पटना, जागरण ब्यूरो
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पेश किये जाने वाले नए बीज विधेयक को किसानों के लिए घातक करार दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर इसमें आवश्यक संशोधन के लिए हस्तक्षेप करने कहा है। उन्होंने इस संबंध में केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को भी पत्र लिखा है।
श्री कुमार ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य बीजों की बिक्री, इसके आयात-निर्यात तथा गुणवत्तायुक्त बीज के उत्पादन का संचालन करना है। परन्तु, गुणवत्ता को मूल्य से पूरी तरह अलग नहीं किया जा सकता है। अगर उचित मूल्य पर किसानों को बीज उपलब्ध नहीं होंगे तो विधेयक लाने का कोई मतलब नहीं रहेगा। निजी कंपनियां तथा मल्टीनेशनल कंपनियों के इस क्षेत्र में आ जाने से मूल्य पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। एनएससी जैसी पब्लिक सेक्टर कंपनियां जहां सौ रुपये से भी कम दाम पर एक किलोग्राम बीज उपलब्ध कराती हैं, वहीं निजी कंपनियों के बीज सैंकड़ों रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। विधेयक में मूल्य पर नियंत्रण का भी प्रावधान रहना चाहिए। फिर से रजिस्ट्रेशन कराने के विधेयक में बने प्रावधान से निजी कंपनियों का कम से कम 20 सालों तक वर्चस्व रहेगा। यह किसी भी कीमत पर इस कारण भी मंजूर नहीं होगा कि बीज पर पिछले दरवाजे से निजी कंपनियां का नियंत्रण हो जाएगा।
पत्र में कहा गया है-'जेनेटिकली मोडिफाइड फसलों के बिना सुरक्षा उपाय के उपयोग किये जाने का मैं विरोधी हूं। इस संबंध में मैंने केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को पत्र भी लिखा है। जीएम बीज का निबंधन पूरी तरह से अनुसंधान कर लिये जाने के पश्चात होना चाहिए। प्रस्तावित बीज विधेयक 2002 में बनी बीज नीति के विपरीत है। नीति के मुताबिक रजिस्ट्रेशन के लिए हर प्रकार का ब्योरा नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट जेनेटिक रिसार्सेज(एनबीपीजीआर) को नेशनल जीन बैंक में रखने के लिए भेजना है। लेकिन, नये विधेयक में ऐसे किसी प्रावधान का उल्लेख नहीं किया गया है। विधेयक में फसल फेल होने की स्थिति में किसानों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान भी नहीं रखा गया है।'
मुख्यमंत्री के अनुसार प्रदेश में पिछले वित्तीय वर्ष में निजी कंपनियों के बीज के कारण 61 हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल फेल हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, इस कारण प्रस्तावित बिल में राज्य सरकारों को बीज के दाम निर्धारित करने का अधिकार मिलना चाहिए। इस विधेयक के अस्तित्व में आते ही बीज नियंत्रण आदेश-1983 समाप्त हो जाएगा। ऐसे में इस आदेश में राज्य सरकार को प्रदान की गयी शक्तियों को नए विधेयक में शामिल किया जाए। स्थानीय स्तर पर बेहतर उपयोग में आने वाले बीजों के निबंधन का अधिकार राज्य सरकार को भी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूद स्वरूप में विधेयक का पारित किये जाने से ने केवल देश की कृषि को क्षति होगी, बल्कि खाद्य सुरक्षा भी दूर का सपना हो जाएगा।
पटना, जागरण ब्यूरो
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पेश किये जाने वाले नए बीज विधेयक को किसानों के लिए घातक करार दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर इसमें आवश्यक संशोधन के लिए हस्तक्षेप करने कहा है। उन्होंने इस संबंध में केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को भी पत्र लिखा है।
श्री कुमार ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य बीजों की बिक्री, इसके आयात-निर्यात तथा गुणवत्तायुक्त बीज के उत्पादन का संचालन करना है। परन्तु, गुणवत्ता को मूल्य से पूरी तरह अलग नहीं किया जा सकता है। अगर उचित मूल्य पर किसानों को बीज उपलब्ध नहीं होंगे तो विधेयक लाने का कोई मतलब नहीं रहेगा। निजी कंपनियां तथा मल्टीनेशनल कंपनियों के इस क्षेत्र में आ जाने से मूल्य पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। एनएससी जैसी पब्लिक सेक्टर कंपनियां जहां सौ रुपये से भी कम दाम पर एक किलोग्राम बीज उपलब्ध कराती हैं, वहीं निजी कंपनियों के बीज सैंकड़ों रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। विधेयक में मूल्य पर नियंत्रण का भी प्रावधान रहना चाहिए। फिर से रजिस्ट्रेशन कराने के विधेयक में बने प्रावधान से निजी कंपनियों का कम से कम 20 सालों तक वर्चस्व रहेगा। यह किसी भी कीमत पर इस कारण भी मंजूर नहीं होगा कि बीज पर पिछले दरवाजे से निजी कंपनियां का नियंत्रण हो जाएगा।
पत्र में कहा गया है-'जेनेटिकली मोडिफाइड फसलों के बिना सुरक्षा उपाय के उपयोग किये जाने का मैं विरोधी हूं। इस संबंध में मैंने केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को पत्र भी लिखा है। जीएम बीज का निबंधन पूरी तरह से अनुसंधान कर लिये जाने के पश्चात होना चाहिए। प्रस्तावित बीज विधेयक 2002 में बनी बीज नीति के विपरीत है। नीति के मुताबिक रजिस्ट्रेशन के लिए हर प्रकार का ब्योरा नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट जेनेटिक रिसार्सेज(एनबीपीजीआर) को नेशनल जीन बैंक में रखने के लिए भेजना है। लेकिन, नये विधेयक में ऐसे किसी प्रावधान का उल्लेख नहीं किया गया है। विधेयक में फसल फेल होने की स्थिति में किसानों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान भी नहीं रखा गया है।'
मुख्यमंत्री के अनुसार प्रदेश में पिछले वित्तीय वर्ष में निजी कंपनियों के बीज के कारण 61 हजार हेक्टेयर में मक्का की फसल फेल हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, इस कारण प्रस्तावित बिल में राज्य सरकारों को बीज के दाम निर्धारित करने का अधिकार मिलना चाहिए। इस विधेयक के अस्तित्व में आते ही बीज नियंत्रण आदेश-1983 समाप्त हो जाएगा। ऐसे में इस आदेश में राज्य सरकार को प्रदान की गयी शक्तियों को नए विधेयक में शामिल किया जाए। स्थानीय स्तर पर बेहतर उपयोग में आने वाले बीजों के निबंधन का अधिकार राज्य सरकार को भी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूद स्वरूप में विधेयक का पारित किये जाने से ने केवल देश की कृषि को क्षति होगी, बल्कि खाद्य सुरक्षा भी दूर का सपना हो जाएगा।