मांग पत्र
माननीय,
श्री अखिलेश यादव,
मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, सरकार लखनऊ।
मान्यवर,
प्रदेश में भाकियू हमेशा किसानों के लिए संघर्ष करती रही है। प्रदेश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत हिस्सा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ा है। किसान के अत्यधिक परिश्रम के बाद भी उसकों उसकी मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाता। किसानों पर कर्ज का भार बढ़ता जा रहा है। जिससे प्रत्येक वर्ष 4 से 6 प्रतिशत के बीच किसान खेती छोडकर किसान से खेतीहर मजदूर बन रहे है। एन0एस0एस0ओ0 की रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई दूसरा धंधा मिले तो 50 प्रतिशत किसान खेती छोडने को तैयार है। युवाओं का खेती से मोह भंग हो रहा है। जिसका मुख्य कारण है कि किसानों को उनकी उपज का उचित लाभकारी मुल्य न मिलना। आपके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 को किसान वर्ष मनाने का जो फैसला लिया है। यह निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार का सराहनीय कदम है। भारतीय किसान यूनियन सरकार के इस फैसले का स्वागत करती है और सरकार से निम्न आशा करती है।
1. उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का लगभग 9000 करोड़ बकाया भुगतान निजी व सहकारी क्षेत्रों के मिलों पर बकाया है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेराई सत्र 2014-15 के भुगतान हेतू लगभग 1500 करोड़ रूपयें की राहत विभिन्न रूप से चीनी मिलों को दी गई है, तमाम पैकेज व छूट का लाभ लेने के बावजूद भी चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों का भुगतान नहीं किया गया है जिससे किसानों को भरण-पोषण करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रह है व किसानों पर कर्ज का भार बढ़ रहा है। किसानों द्वारा आत्महत्याए भी की जा रही है। भाकियू मांग करती है कि गन्ना किसानों का बकाया भुगतान अविलम्ब कराया जाये।
2. गन्ना आयुक्त शासन द्वारा पैराई सत्र 2012-13, 2013-14 का शुगर मिलों द्वारा गन्ना किसानों को दिये जाने वाला ब्याज माफ कर दिया गया है जिससे किसानों में भारी रोष व्यापत है। गन्ना आयुक्त के इस गलत निर्णय को निरस्त कर किसानों को ब्याज का भुगतान कराया जाये।
3. उत्तर प्रदेश की गांगनौली, बस्ती, खलीलपुर, बुलन्द शहर, देवरिया की शुगर मिलों को बन्द न किया जाए।
4. प्रदेश में प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसलों का मुआवजा दिये जाने हेतु कोई नीति नहीं है। किसानों की फसलों को हुई हानि का मुआवजा दैवी आपदा से दिया जाता है। जिसमें मुआवजे की राशि बेहद कम होती है। कई बार किसानों को 20 से 50 रुपये तक की धनराशि के चैक उपलब्ध कराये जाते है। जिससे मुआवजा राशि उपहास की स्थिति में आ जाती है। इसके लिए एक कमैटी का गठन कर प्रदेश स्तर पर इससे निपटने हेतु नीति बनाई जाए तथा प्रदेश में इस तरह की आपदा से निपटने हेतु एक आकस्मिक निधि भी बनायी जाए।
5. उत्तर प्रदेश में आपदा राहत में लेखपालों की मनमानी के चलते बंदरबांट हुई है, अपात्र लोगों को मुआवजे का वितरण कर दिया गया है पात्र लोग इससे अभी भी वंचित है। इन अधिकारियों द्वारा 100-50 रूपये जारी कर सरकार की गरिमा को भी क्षति पहुँचायी है। जनपदों की मांग के अनुसार आपदा राहत की राशि अविलम्ब जारी करते हुए मुआवजा वितरण की जांच सक्षम ऐजेंसी से कराई जायें।
6़. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा धान के संकर बीजो की बुवाई पर अनुदान उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन संकर धान की खरीदारी क्रय केन्द्रों पर नहीं की जाती है जिससे किसानों को अपना धान सस्ते मूल्य पर बेचनें को मजबूर होना पड़ता है। प्रदेश में धान खरीद हेतू पूर्व में उचित व्यवस्था की जाये।
7. प्रदेश में खरीफ की फसल में बीज पर दिये जाने वाले अनुदान को सीधे किसानों के खाते में भेजकर कम्पनी बीज विक्रेताओं के बीच अनुदान की बंदरबाट पर रोक लगी है और इससे अधिक किसान लाभान्वित हुए है। इसे रबी की फसल में भी लागू किया जाए।
8. प्रदेश में स्थित ब्लाॅको का एक बड़ा हिस्सा डार्क जोन की श्रेणी में आने के कारण किसानों को निजी नलकूप के कनेक्शन नहीं मिल पा रहे है। जिससे किसानों का कृषि कार्य करना सम्भव नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा कर किसानों को कनेक्शन दिये जाने का उपाय अविलम्ब किये जाए।
9. सामान्य योजना के अन्तर्गत स्वीकृत निजी नलकूप के कनेक्शन का सामान अविलम्ब उपलब्ध कराया जाए। सभी निजी नलकूपों का ऊर्जीकरण निशुल्क कराया जाये।
9़. ग्रामीणों क्षेत्रों में 9 घंटे दिन तथा 9 घंटे रात्रि में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाये।
10. मौजूदा भूमि अधिग्रहण बिल 2015 किसान विरोधी है, भूमि अधिग्रहण बिल के मौजूदा स्वरूप पर भारत सरकार का समर्थन न किया जाये।
11. पिछले 10 वर्षो से बुन्देलखण्ड के किसान सूखा व असमय बारिश की मार झेल रहे है। जिससे किसानों पर कर्ज का बडा भार हो गया है। आये दिन बुन्देलखण्ड में किसानों द्वारा आत्महत्या की जा रही है। बुन्देलखण्ड में किसानों का उत्पीडन चरम सीमा पर है। बुन्देलखण्ड की समस्या के समाधान हेतु भारत सरकार पर दबाव बनाकर किसानों के निजी व सरकारी सभी कर्ज पूर्णतः माफ किये जाए।
12. लघु सिंचाई योजना में निःशुल्क बोरिंग योजना, मध्यम गहरे बोरिंग, गहरे बोरिंग में अंशदान बढ़ाकर डेढ लाख रुपये प्रति बोरिंग किया जाए तथा उर्जीकरण का पैसा भी बढ़ाया जाए।
13. प्रदेश में सिंचाई हेतु नई नहरे व बांध बनाए जाए। चैगामा नहर परियोजना एवं पंचनदा बाँध परियोजना को अविलम्ब चालू किया जाए।
14. प्रदेश में आवारा पशुओं जैसे नीलगाय, जंगली सुअर आदि के द्वारा किसानों की फसलों को नष्ट किया जा रहा है। सरकार द्वारा इसकी रोकथाम हेतू आवश्यक कार्यवाही की जाये। बुन्देलखण्ड़ में अन्ना प्रथा रोकने हेतू उचित कानून बनाया जाये।
15. प्रदेश में जैव परिवर्तित (जी0एम0) फसलों के परीक्षण पर रोक लगायी जाये।
16. आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमें वापस लिये जाये। जनपद कुशीनगर एवं फैजाबाद में किसानों को झूठे मुकदमों में जेल भेज दिया गया है। इन किसानों को तुरन्त रिहा किया जाए।
17. प्रदेश में पाॅपलर, यू0 के0 लिप्टिस, सागोन की खेती किसानों द्वारा की जाती है, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई कृषि नीति में भी इसका उल्लेख कृषि वार्निकी के रूप में किया गया है। कृषि वार्निकी करने वाले किसानों का उत्पीड़न चरम सीमा पर है। भाकियू मांग करती है कि कृषि वार्निकी के अन्तर्गत आने वाले वृक्षों कटाई हेतू स्वीकृति एवं मण्ड़ी शुल्क समाप्त किये जायें।
18. प्रदेश में चकबन्दी कार्यो में तेजी लायी जाये तथा एक समय में एक गांव की चकबंदी समाप्त करने के बाद ही दूसरे गांव में चकबंदी की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाये। किसी भी गांव में चकबंदी शुरू करने से पहले उसकी समय सीमा तय की जाए। विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाये।
19. प्रदेश में किसानों की आत्महत्या, कर्ज, कृषि विभाग की योजनाओं, खरीद, फसलों की लागत और मूल्य, बुन्देलखण्ड आदि मुद्दों पर उच्च स्तरीय कमैटी का गठन किया जाए। जिसमें किसान प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। कमैटी की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद सरकार द्वारा उचित कार्यवाही की जाए।
भवदीय
चै0 नरेश टिकैत श्री राजेश सिंह चैहान
(राष्ट्रीय अध्यक्ष) (प्रदेश अध्यक्ष)
भाकियू भाकियू
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Friday, July 31, 2015
मांग पत्र
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