Monday, January 18, 2021

महिलाओं ने संभाला किसान आंदोलनों का मोर्चा

गाजीपुर बॉर्डर पर मंच का संचालन करते हुए महिला किसान


गाजीपुर बॉर्डर पर 'महिला किसान दिवस' के अवसर पर महिलाओं ने मंच से लेकर आंदोलन की बागडोर संभाली|

पिछले 54 दिनों से किसान दिल्ली के सीमाओं पर तीन किसान विरोधी काले कानूनों का विरोध कर रहे है और MSP को कानून बनाने की मांग कर रहे है। सरकार के साथ 9 बार वार्ता हो चुकी है जिसका अभी तक कोई परिणाम नही निकला है। दूसरी तरफ कई भारतीय मीडिया चैनल किसानों के इस संघर्ष को खालिस्तानी, देश-विरोधी, और राजनैतिक साजिश होने का दावा करते आ रहे है। महिला, बुजुर्ग, एवं युवाओं के धरने में शामिल होने पे भी सवाल उठाया जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने वक्तव्य में ये दर्शाया की महिलाओं, बुजुर्गो, और बच्चों को प्रोटेस्ट में रखा जा रहा है। 

अब सवाल ये उठता है कि महिलाएं जिनकी खेती में पुरुषों के बराबर या कहे ज्यादा योगदान होता है उनके किसान होने के अस्तित्व को ही नकार दिया गया। 

आज महिला किसान दिवस के अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय और सरकार के अड़ियल रुख को आइना दिखाने के लिये 'महिला किसान दिवस' पर महिला किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर हो रहे कृषि कानून विरोधी प्रदर्शन में ना सिर्फ मंच अपने हाथ मे लिया बल्कि 21 महिला किसानों ने भूख हड़ताल पे भी बैठी। 

महिला किसानों ने ये व्यक्त किया कि जिस तरह से समाज मे हमारे योगदान को नकार दिया जाता है उसी तरीके से आंदोलन को खड़ा करने और उन्हें चलाने में भी हमारे योगदान को नकारा जा रहा है। धरना स्थलों पर हमारी उपस्थिति खेती में हमारे योगदान को दर्शाती है। धरने में हापुड़ से आयी महिला किसान बबली सिंह ने कहा, "अभी तक तो हम खेतों और घरों में थे लेकिन सरकार के अड़ियल रवैये और हमारी पहचान पे सवाल उठने के बाद अब हम सड़कों पे भी होंगे। सर्वोच्च न्यायालय और सरकार को ये समझना होगा कि जितना एक पुरुष खेतों में काम करता है उससे कहीं ज्यादा औरतें खेतों पे काम करती हैं। धरना करने के लिए हमे किसी की ना तो परमिशन चाहिए ना ही सहयोग। महिला किसान आत्मनिर्भर है और आगे ऐसे किसी भी कृषि -किसान विरोधी कानूनों का विरोध करती रहेंगे।" 

एक दूसरी महिला किसान ने कहा, "अब ऐसा समय नही रह की महिलाएं अपने योगदान को आगे पहचान नही दिलायेंगी, अब महिलायें अपने काम को पहचान और अपना हक़ दोनों ले के रहेंगी। ये तीन काले कानून सिर्फ पुरुष किसानों का ही नुकसान नही करेंगी उसके साथ साथ हम महिला किसानों और हमारे बच्चों पर भी बुरा प्रभाव डालेंगी।"

26 जनवरी को होने वाली 'किसान ट्रैक्टर परेड" के विषय मे एक महिला किसान ने कहा, "जिस प्रकार से महिलायें 54 दिनों से इस आंदोलन में बढ़-चढ़ के हिस्सा ले रही है वैसे ही 26 जनवरी वाले परेड में महिलाएं को हाथ मे ट्रैक्टर की स्टीयरिंग होगी।"

आज दिन भर विभिन्न महिला किसानों प्रदर्शन स्थल पर पहुंचकर अपने देश के किसानों को समर्थन और सहयोग दिया। 

पंजाब से आयी महिलाओं ने आंदोलन को गर्म वस्त्र प्रदान करके आंदोलन का  समर्थन किया


हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश इत्यादि जगहों की करीब 7 युवा महिला कबड्डी टीम ने भी खेत-मिट्टी के खेल कबड्डी के आयोजन में हिस्सा लिया। साथ ही साथ बच्चियों ने दंगल का भी खेल दिखाया और योग किया| 

हरियाणा की युवा महिला कबड्डी टीम


हरियाणा युवा महिला कबड्डी टीम के कोच जगबीर सिंह जी जोकि खुद एक किसान है ने कहा, "हम यहां किसानों के समर्थन में आये है। ये जितनी भी लड़कियां है सब किसान परिवार से है।"

हरियाणा टीम की युवा खिलाड़ियों ने कहा कि वो सिर्फ यहां खेलने के मकसद से ही नही बल्कि ये भी बताना चाहती है किसानों के इस आंदोलन को समझती है और तीनों काले कानून को हटाने और MSP को कानून बनाने के लिये इसका समर्थन भी करती है।" 

आंदोलन में शामिल अन्य कई महिला किसानों ने एक साथ ये कहा कि "ये सिर्फ पुरुषों का आंदोलन नही है। पुरुषों की संख्या भले ही प्रदर्शन स्थल पे ज्यादा हो लेकिन महिला किसान ही है जो घरो और खेतों को संभाल रही है।"

आंदोलन के लंबा चलने पे महिला किसानों ने कहा, "हम हमेशा से ही धैर्य का प्रतिबिंब रहे है और जब तक सरकार तीनो काले कानूनों को वापस नही लेती हम डेट रहेंगे, दिल्ली की सीमाओं पे भी और गांवों, घरों, और खेतों पे भी।"

भारतीय किसान यूनियन हमेशा से महिला किसानों का सम्मान करती रही है। आंदोलन में उनकी भागीदारी हमारे संकल्प को और भी मजबूत बनाती है। 

राकेश टिकैत भूख हड़ताल पर बैठी महिला किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर स्थित मंच पर

भारतीय किसान यूनियन 'महिला किसान दिवस' पर महिला किसानों के अलावा देश के सभी महिलाओं से इस संघर्ष में शामिल होने की आशा करती है क्योंकि किसान के बाद एक महिला ही होती है जिन्हें सब्जियों - अनाजों का असल मूल्य पता होता है। 

भारतीय किसान यूनियन की तरफ से महिला किसानों का सम्मान करते हुए


जय जवान, जय किसान!

धमेंद्र मलिक

राष्ट्रीय मीडिया इंचार्ज 

भारतीय किसान यूनियन

महिला किसान दिवस पर गाजीपुर बॉर्डर से अन्य सामचारों के लिंक निचे दिए गए है:        

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