Saturday, August 21, 2010

टिकैत ने किया आरपार की लड़ाई का एलान

टिकैत ने किया आरपार की लड़ाई का एलान
अलीगढ़: यमुना एक्सप्रेस वे के बराबर में जेपी ग्रुप की मॉडल टाउनशिप के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर धधक रही आंदोलन की आग उस समय और भड़क उठी जब वेस्ट यूपी और उत्तरांचल से हजारों की संख्या में टप्पल स्थित धरना स्थल पर पहुंचे किसानों ने एक सुर से यह हुंकार भरी कि वह जान दे देंगे लेकिन अपनी कीमती जमीन मिट्टी के मोल नहीं देंगे। मुजफ्फरनगर से टप्पल पहुंचे भाकियू के सर्वमान्य किसान नेता चौ. महेंन्द्र सिंह टिकैत ने भी आर-पार की लड़ाई का ऐलान करते हुए कहा कि किसानों की मांगें पूरी होने से पहले एक्सप्रेस वे पर कोई काम नहीं होने दिया जाएगा। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसानों को अपनी जमीन खुद बेचने का अधिकार मिलना चाहिए। यूपी कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि यूपी की बसपा सरकार कमीशन एजेंट की तरह काम कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस तरह एक के बाद एक जो भी नेता मंच पर आया उसने मायावती सरकार और जेपी ग्रुप पर निशाना साधा। सुबह से ही धरना स्थल पर किसानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया जो अनवरत दोपहर बाद तक चलता रहा। हजारों की संख्या में किसान बिना किसी बुलावे के धरना स्थल पर पहुंच रहे थे। हर कोई इस धरना सभा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता था। कांग्रेस के पूर्व सांसद चौ. विजेन्द्र सिंह, एमएलसी विवेक बंसल पहले से ही वहां मौजूद थे। प्रात: लगभग 11 बजे धरना सभा की विधिवत शुरुआत ताहरपुर गांव के बुजुर्ग किसान रामचन्द्र की अध्यक्षता एवं सर्वदलीय किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष मनवीर सिंह तेवतिया के संचालन में हुई। मथुरा के विधायक प्रदीप माथुर, आगरा के छीतर सिंह, पूर्व मंत्री सरदार सिंह, इगलास के महेन्द्र सिंह, हाथरस के रतन सिंह व अलीगढ़ के अजब सिंह आदि ने यूपी की मायावती सरकार को हत्यारी सरकार की संज्ञा देते हुए उसे बर्खास्त करने की मांग की। इसी बीच कांग्रेस नेताओं का काफिला धरना स्थल पर पहुंचा। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रमोद तिवारी, मुजफ्फरनगर के सांसद हरेन्द्र मलिक, नसीब पठान आदि शामिल थे। इन सभी नेताओं ने किसानों को भरोसा दिलाया कि सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के निर्देश पर वह यहां आए हैं और किसानों को उनका हक दिला कर ही दम लेंगे। इन नेताओं के जाने के बाद चौ. महेंद्र सिंह टिकैत पचास गाडि़यों के काफिले के साथ वहां पहुंचे। उनके साथ राकेश टिकैत एवं चन्द्रपाल फौजी भी थे

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