Thursday, November 13, 2014

- वर्तमान गन्ना पैराई सत्र 2014 में सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य में वृद्धि न किये जाने व किसानों के 40 रुपये प्रतिकुन्तल की दर से पैराई सत्र के तीन माह बाद दिये जाने के सम्बंध में-

माननीय,
   श्री अखिलेश यादव,
   मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, सरकार लखनऊ।

   विषय:- वर्तमान गन्ना पैराई सत्र 2014 में सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य में वृद्धि न किये जाने व किसानों के 40 रुपये प्रतिकुन्तल की दर से पैराई सत्र के तीन माह बाद दिये जाने के सम्बंध में-
मान्यवर,
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिनांक 12 नवम्बर 2014 को वर्तमान पैराई सत्र में गन्ना समर्थन मूल्य में वृद्धि नहीं किये जाने व किसानों के 40 रुपये प्रति कुन्तल पैराई सत्र के तीन माह बाद दिये जाने के फैसले से उत्तर प्रदेश का किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। प्रदेश सरकार का यह फैसला गन्ना किसानों के साथ भद्दा मजाक है। वर्तमान सत्र में सूखा पडने के कारण किसानों की उत्पादन लागत में लगभग डेढ गुना वृद्धि हुई है। गन्ना पैदा करने हेतू सभी अनुकूल परिस्थितियों में भी किसानों की औसत लागत लगभग 340 रुपये प्रति कुन्तल है। 
पिछले विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को लागत में 50 प्रतिशत जोड़ कर लाभकारी मूल्य देने का वायदा किया था, लेकिन प्रदेश सरकार का गन्ना मूल्य में वृद्धि न करने का फैसला यह जाहिर करता है कि समाजवादी पार्टी द्वारा किसानों को गुमराह करने व किसानों के वोट हासिल करने को इस तरह का झूठा वायदा किया गया था। 
दूसरी तरफ चीनी उद्योग को घाटे का हवाला देते हुए तमाम रियायते दी गयी है। जिससे स्पष्ट है कि प्रदेश  सरकार को किसानों से अधिक चीनी मिल मालिकों की चिन्ता है। वर्तमान समय में भी 1 कुन्तल गन्ने से मिल मालिक को लगभग 300 रुपये की बचत होती है। इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन प्रदेश सरकार व मिल मालिकों के साथ खुली बहस के लिए तैयार है।
दुःख का विषय है कि 40 रुपये प्रति कुन्तल की दर से बाद में किये जाने वाला भुगतान लगभग 280 करोड़ रुपये होगा। जिस पर बैंक दर से भी लगभग 10 करोड़ रुपया ब्याज बनता है, लेकिन यह ब्याज किसानों को कर्ज पर देना पडेगा, लेकिन किसानों को ब्याज नहीं दिया जाएगा। मंत्री मंडल में लिया गया यह फैसला इतना हास्यपद है कि किसानों को गन्ने को उचित लागत मूल्य भी नहीं दिया जायेगा और अपनी फसल के भुगतान के लिए भी इन्तजार करना पडेगा। 
भारतीय किसान यूनियन मांग करती है कि सरकार को किये गये फैसले पर विचार करते हुए गन्ने का समर्थन मूल्य 350 रुपये प्रति कुन्तल की दर से तय किया जाए अन्यथा भारतीय किसान यूनियन 15 नवम्बर को इस मुद्दे पर प्रदेशव्यापी चक्का जाम आन्दोलन करने को मजबूर होगी।
भवदीय
चै. राकेश टिकैत
(राष्ट्रीय प्रवक्ता भाकियू )

No comments:

Post a Comment